प्रधानमंत्री ने रेडियो पर कही ‘मन की बात’

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दिल्ली |26 नवंबर हम कभी भी भूल नहीं सकते हैं।आज के ही दिन देश पर सबसे जघन्य आतंकी हमला हुआ था। आतंकियों ने, मुंबई को, पूरे देश को, थर्रा कर रख दिया था। लेकिन ये भारत का सामर्थ्य है कि हम उस हमले से उबरे और अब पूरे हौसले के साथ आतंक को कुचल भी रहे हैं। मुंबई हमले में अपना जीवन गंवाने वाले सभी लोगों को मैं श्रद्धांजलि देता हूँ। इस हमले में हमारे जो जांबांज वीरगति को प्राप्त हुए, देश आज उन्हें याद कर रहा है।
बाबा साहेब आंबेडकर की 125वीं जन्मजयन्ती मना रहे थे, 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के तौर पर मनाया जाए। संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने 18 दिन का समय लगा था। सच्चिदानंद सिन्हा जी संविधान सभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य थे।60 से ज्यादा देशों के संविधान का अध्ययन और लंबी चर्चा के बाद हमारे संविधान का तैयार होने के बाद उसे अंतिम रूप देने से पहले उसमें 2 हजार से अधिक संशोधन फिर किए गए थे।1950 में संविधान लागू होने के बाद भी अब तक कुल 106 बार संविधान संशोधन किया जा चुका है। राष्ट्र निर्माण की कमान जब जनता-जनार्दन संभाल लेती है, तो दुनिया की कोई भी ताकत उस देश को आगे बढ़ने से नहीं रोक पाती। आज भारत में भी स्पष्ट दिख रहाहै कि कई परिवर्तनों का नेतृत्व देश की 140 करोड़ जनता ही कर रही है। भारतीय उत्पादों के प्रति यह भावना केवल त्योहारों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए।अभी शादियों का मौसम भी शुरू हो चुका है। कुछ व्यापार संगठनों का अनुमान है कि शादियों के इस समय में करीब 5 लाख करोड़ रुपए का कारोबार हो सकता है। इन दिनों ये जो कुछ परिवारों में विदेशों में जाकर के शादी करने का जो एक नया ही वातावरण बनता जा रहा है। क्या, ये जरूरी है क्या ? अगर हम इस प्रकार के आयोजन करेंगे तो व्यवस्थाएं भी विकसित होंगी। ये बहुत बड़े परिवारों से जुड़ा हुआ विषय है। मैं आशा करता हूँ मेरी ये पीड़ा उन बड़े-बड़े परिवारों तक जरूर पहुँचेगी। गाँव-गाँव में लगने वाले मेलों की तरह ही हमारे यहां विभिन्न नृत्यों की भी अपनी ही विरासत है। झारखण्ड, ओडिशा और बंगाल के जन-जातीय इलाकों में एक बहुत प्रसिद्ध नृत्य है जिसे ‘छऊ’ के नाम से बुलाते हैं।15 से 17 नवम्बर तक एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के साथ श्रीनगर में ‘छऊ’ पर्व का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में सबने ‘छऊ’ नृत्य का आनंद उठाया। श्रीनगर के नौजवानों को ‘छऊ’ नृत्य की प्रक्षिछन देने के लिए एककार्यशाला का भी आयोजन हुआ। इसी प्रकार, कुछ सप्ताह पहले ही कठुआ जिले में ‘बसोहली उत्सव’ आयोजित किया गया। ये जगह जम्मू से150 किलोमीटर दूर है। इस उत्सव में स्थानीय कला, लोक नृत्य और पारंपरिक रामलीला का आयोजन हुआ।
साथियो, भारतीय संस्कृति की सुंदरता को सऊदी अरब में भी महसूस किया गया। इसी महीने सऊदी अरब में ‘संस्कृत उत्सव’ नाम का एक आयोजन हुआ। यह अपने आप में बहुत अनूठा था, क्योंकि ये पूरा कार्यक्रम ही संस्कृत में था। संवाद, संगीत, नृत्य सब कुछ संस्कृत में, इसमें, वहाँ के स्थानीय लोगों की भागीदारी भी देखी गयी।
मेरे परिवारजनो, ‘स्वच्छ भारत’ अब तो पूरे देश का प्रिय विषय बन गया है मेरा तो प्रिय विषय है ही है और जैसे ही मुझे इससे जुडी कोई खबर मिलती है, मेरा मन उस तरफ चला ही जाता है, और स्वाभाविक है, फिर तो उसको ‘मन की बात’ में जगह मिल ही जाती है।स्वच्छ भारत अभियान ने साफ-सफाई और सार्वजनिक स्वच्छता को लेकर लोगों की सोच बदल दी है। ये पहल आज राष्ट्रीय भावना का प्रतीक बन चुकी है, जिसने करोड़ों देशवासियों के जीवन को बेहतर बनाया है। इस अभियान ने अलग-अलग क्षेत्र के लोगों, विशेषकर युवाओं को सामूहिक भागीदारी के लिए भी प्रेरित किया है। ऐसा ही एक सराहनीय प्रयास सूरत में देखने को मिला है। युवाओं की एक टीम ने यहाँ ‘Project Surat’इसकी शुरुआत की है। इसका लक्ष्य सूरत को एक ऐसा model शहर बनाना है, जो सफाई और sustainable development की बेहतरीन मिसाल बने।‘Safai Sunday’ के नाम से शुरू हुए इस प्रयास के तहत सूरत के युवा पहले सार्वजानिक जगहों औरDumas Beach की सफाई करते थे। बाद में ये लोग तापी नदी के किनारों की सफाई में भी जी-जान से जुट गए और आपको जान करके खुशी होगी,देखते-ही-देखते इससे जुड़े लोगों की संख्या,50 हजार से ज्यादा हो गई है।लोगों से मिले समर्थन से टीम का आत्मविश्वास बढ़ा, जिसके बाद उन्होंने कचरा इकट्ठा करने का काम भी शुरू किया। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस टीम ने लाखों किलो कचरा हटाया है। जमीनी स्तर पर किए गए ऐसे प्रयास, बहुत बड़े बदलाव लाने वाले होते हैं।
21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है –‘जल सुरक्षा’।जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं। जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है। इसका एक उदाहरण देश के हर जिले में बन रहे ‘अमृत सरोवर’ भी है।‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे। अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्त्रोत बने रहें।
।जब किसी एक लक्ष्य के लिए सामूहिक प्रयास होता है तो सफलता की ऊंचाई भी और ज्यादा हो जाती है। मैं आप सभी से लद्दाख का एक प्रेरक उदाहरण साझा करना चाहता हूँ। आपने पश्मीना शाल के बारे में तो जरुर सुना होगा। पिछले कुछ समय से लद्दाखी पश्मीना की भी बहुत चर्चा हो रही है |नारी-शक्ति की ऐसी सफलताएं देश के कोने-कोने में मौजूद हैं।जरुरत ऐसी बातों को ज्यादा से ज्यादा सामने लाने की है।और ये बताने के लिए ‘मन की बात’ से बेहतर और क्या होगा ?तो आप भी ऐसे उदाहरणों को मेरे साथ ज्यादा से ज्यादा shareकरें।मैं भी पूरा प्रयास करूंगा कि उन्हें आपके बीच ला सकूँ।
कल 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व है।इसी दिन ‘देव दीपावली’ भी मनाई जाती है।और मेरा तो मन रहता है कि मैं काशी की ‘देव दीपावली’ जरुर देखूं।इस बार मैं काशी तो नहीं जा पा रहा हूँ लेकिन ‘मन की बात’ के माध्यम से बनारस के लोगों को अपनी शुभकामनाएं जरूर भेज रहा हूँ।
कल,पूर्णिमा के दिन ही गुरु नानक देव जी का भी प्रकाश पर्व है।गुरु नानक जी के अनमोल संदेश भारत ही नहीं, दुनिया भर के लिए आज भी प्रेरक और प्रासंगिक हैं।

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