लालू और नीतीश ने भागीदारी की बात करके स्वीकारा है कि उन्होंने उनका हक मार लिया: प्रशांत किशोर

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सीतामढ़ी: जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने आगामी चुनाव में जातिगत सर्वे का बिहार में क्या असर हो सकता है इस पर प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में इसका कोई असर नहीं होगा इसे लिखकर रख लीजिए। बिहार में सर्वे आ गया अब इसके बाद लॉजिकल दो सवाल पूछने की बात है। जिन वर्गों की संख्या ज्यादा है उनको हक और भागीदारी देने की बात है। सवाल उठता है कि उनकी भागीदारी पर कौन बैठा हुआ है। तेजस्वी यादव को अपने दो से तीन विभाग छोड़ कर जिन वर्गों की संख्या ज्यादा आई है उनको देना चाहिए। नीतीश कुमार को और भी कई ऐसे विधायक और मंत्रियों को शामिल करना चाहिए जो पिछड़े वर्गों से आते हैं जिनके प्रतिनिधित्व संख्या ज्यादा होने की नीतीश कुमार और लालू यादव बात कर रहे हैं उनसे कोई पूछे कि कौन बैठा है सत्ता में किसको भागीदारी देनी है। सत्ता में पिछले 32 बरस से लालू जी और नीतीश जी बैठे हैं। अगर किसी वर्ग को भागीदारी नहीं मिली तो वो खुद स्वीकार कर रहे हैं कि उनका हक उन्हीं दोनों ने मारा है। आज बिहार सरकार का बजट है 2 लाख 46 हजार करोड़ और बिहार में आज जो 36 पर्सेंट की बात हो रही है उसमें 36 पर्सेंट का प्रतिनिधित्व करने वाले मंत्री कितने हैं और उन विभागों का बजट कितना है?

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