राष्ट्रपति ’अनुसंधान से असर तकः न्यायसंगत व लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी

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नई दिल्ली सम्मेलन के बारे में आज मीडिया को जानकारी देते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ हिमांशु पाठक ने बताया कि यह सम्मेलन और इसका विषय – जी20 सम्मिट के मद्देनजर अहम है जिसमें स्पष्ट रूप से महिलाओं की अगुआई में विकास की बात कही गई है। उन्होंने कहा , ’’इसमें शामिल है जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा व पोषण के संबंध में महिलाओं का नेतृत्व एवं निर्णय लेने की भूमिकाओं को मान्यता व बढ़ावा देना,’’।
सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म के निदेशक, डॉ निकोलाइन डी हान ने कहा कि यह सम्मेलन इस तरह तैयार किया गया है कि अनुसंधान और अभ्यास के बीच का जो फासला है उसे दूर करने के लिए नवीन ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाए। इसका उद्देश्य यह है कि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाए तथा उसे सामाजिक रूप से समावेशी व लचीला बनाया जाए।
डॉ डी हान ने कहा कि दुनिया भर में कृषि-खाद्य प्रणालियों में जेंडर असमानता बहुत अहम चुनौती बनी हुई है – और कोविड-19 व जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों के चलते वर्तमान असमानताएं बदत्तर हो रही हैं। कुल मिलाकर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की खाद्य सुरक्षा कम है और उन्हें बाहरी सदमों की भी कड़ी मार झेलनी पड़ती है जैसे बाढ़ व सूखा। हम अनुसंधान, साक्ष्य और व्यावहारिक समझ को एकजुट कर के नीति-निर्माताओं व निवेशकों का मार्गदर्शन कर रहे हैं ताकि वे सर्वश्रेष्ठ समाधानों की ओर अग्रसर हों जिससे हम लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सही रास्ते पर आ जाएं।
इस सम्मेलन में सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद लैंगिक अनुसंधानकर्ताओं के एक विशिष्ट वैश्विक नेटवर्क का संयोजन कर रहे हैं तथा उन्हें अन्य अनुसंधानकर्ताओं, प्रैक्टिशनरों व नीति निर्माताओं के साथ एकजुट कर रहे हैं ताकि आज तक हुए कृषि लैंगिक अनुसंधान का जायज़ा लिया जाए और नवप्रवर्तन का प्रस्ताव दिया जाए जो कृषि-खाद्य प्रणालियों को ज्यादा समान, न्यायसंगत व लचीला बनाने में मददगार साबित हों।
इस आयोजन के दौरान 140 मौखिक प्रस्तुतियां, 85 पोस्टर, 25 उच्च स्तरीय परिपूर्ण व मुख्य वक्ता एवं 60 समानांतर सत्र होंगे। अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शक एवं भारतीय महिला उद्यमी अपना कार्य व नई खोज प्रदर्शित करेंगे। सम्मेलन प्रतिनिधि अनुसंधान संस्थानों, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान व विस्तार प्रणालियों, गैर सरकारी संगठनों, सिविल सोसाइटी संगठनों, फंडिंग पार्टनरों, नीति-निर्माता निकायों और प्राइवेट सेक्टर की विस्तृत रेंज की नुमाइंदगी करेंगे।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, और उसके साथ सीजीआईएआर और अन्य अनुसंधान सहयोगी भारत के 12.60 करोड़ छोटे किसानों के भविष्य को मार्गदर्शन व आकार देने का काम जारी रखेंगे। सीजीआईएआर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म के नाते GENDER का लक्ष्य है ज्ञान का प्रसार कर के उन कृषि समाधानों का सह-रचनाकार बनना जो महिलाओं के लिए काम करते हैं तथा न्यायसंगत, लचीले व समृद्ध समाजों के निर्माण में योगदान देते हैं। आईसीएआर दुनिया के सबसे बड़े राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रणालियों में से एक है, इसके साथ साझेदारी सीजीआईएआर व उसके सहयोगियों को एक खास मौका देती है जिससे वे सहयोग करें, जमीनी स्तर पर मांग के साथ जुड़ें और बड़े पैमाने पर प्रभाव कायम कर सकें।
आईसीएआर के 113 संस्थान और 76 कृषि विश्वविद्यालय भारत भर में फैले हुए हैं, ये साक्ष्य-आधारित प्राथमिकताओं की पहचान करने और नवप्रवर्तन में एक अहम भूमिका निभाएंगे जिससे कि जी20 की प्रतिबद्धताओं को अमलीजामा पहना कर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा व पोषण के मामले में महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में स्थापित किया जा सके। इससे महिला व पुरुष, दोनों किसानों के लिए और उनके समस्त समुदायों के लिए भी सकारात्मक परिणाम हासिल किए जा सकेंगे। सीजीआईएआर विश्व स्तरीय विशेषज्ञता, साक्ष्य व साबित समाधानों को उपलब्ध कराकर इस प्रक्रिया में योगदान दे सकती है।

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