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राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 बच्चों की प्रतिभा और कौशल को निखारने के लिए खेल-आधारित शिक्षा: धर्मेंद्र प्रधान

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केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री  धर्मेंद्र प्रधान ने आज कला उत्सव 2023 के उद्घाटन समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया। शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थीं। समारोह में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के सचिव श्री संजय कुमार, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के अपर सचिव आनंदराव विष्णु पाटिल, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। कला उत्सव की राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. ज्योत्सना तिवारी ने उत्सव की संक्षिप्त अवधारणा और रूपरेखा प्रस्तुत की।

कार्यक्रम में श्री प्रधान ने उल्लेख किया कि कैसे उत्सव स्कूली छात्रों की रचनात्मक और कलात्मक प्रतिभा का पोषण करके भारत की सांस्कृतिक विविधता को जोड़ता है, जैसा कि प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी ने परिकल्पना की थी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पूरे देश को भारत के बच्चों की प्रतिभा और क्षमता पर भरोसा है।

श्री प्रधान ने यह भी उल्लेख किया कि कैसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (एनईपी 2020) बच्चों की प्रतिभा और कौशल को निखारने, उनके सर्वांगीण विकास और उन्हें विकसित करने के लिए खेल-आधारित शिक्षा, खेल, कला, शिल्प और अन्य सभी रचनात्मक प्रयासों को मुख्यधारा में लाएगी। इस तरह बच्चों को 21वीं सदी में नेतृत्वकारी भूमिका के लिए तैयार करेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी-2020 अगली पीढ़ी को पहले राष्ट्र और समाज की भावना के आधार पर बड़े लक्ष्य हासिल करने के लिए तैयार कर रही है। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय से कला उत्सव को देश के सभी स्कूलों तक ले जाने के लिए आगे बढ़ने और समग्र स्वरूप में बच्चों की भागीदारी लाने की व्यवस्था करने का भी आग्रह किया। श्री प्रधान ने कहा कि भारत के प्रत्येक बच्चे को उसकी रुचि और प्रतिभा के अनुसार व्यापक मंच देकर ही विकसित भारत का निर्माण किया जा सकता है।

उपस्थित लोगों और विशेष रूप से कला उत्सव के युवा प्रतिभागियों के साथ जीवंत बातचीत में श्री प्रधान ने उन्हें अमृत काल में उनकी जिम्मेदारियों की याद दिलाई, जब आने वाले 25 वर्षों में वे विकसित भारत के विकास में अपना योगदान देंगे।

श्री प्रधान ने एनईपी-2020 की अनूठी विशेषताओं पर जोर दिया, जिसमें छात्रों के सर्वांगीण विकास को सुविधाजनक बनाने के लिए खेल, कला, संस्कृति, हैकथॉन आदि के रूप में अनुभवात्मक शिक्षा के घटकों को जोड़ा गया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि ऐसी विशेषताएं छात्रों में वृहद सोच के विकास में मदद करती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि करुणा, सहानुभूति आदि जैसी गहरी मानवीय संवेदनाएं पाठ्यपुस्तकों से नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों से आती हैं।

शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग और राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) 9 से 12 जनवरी, 2024 तक राष्ट्रीय बाल भवन और गांधी स्मृति और दर्शन समिति, नई दिल्ली में कला उत्सव 2023 का आयोजन कर रहे हैं।

कला उत्सव 2023 में 10 कला रूपों का प्रदर्शन किया जाएगा: 1. स्वर संगीत-शास्त्रीय;  2. स्वर संगीत- पारंपरिक लोक;  3. वाद्य संगीत-तालवाद्य;  4. वाद्य संगीत-मधुर;  5. नृत्य- शास्त्रीय;  6. नृत्य-लोक;  7. दृश्य कला (द्वि-आयामी);  8. दृश्य कला (त्रिआयामी); 9. स्वदेशी खिलौने और खेल; और 10. नाटक (एकल अभिनय)। 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय विद्यालय संगठन और नवोदय विद्यालय समिति के लगभग 700 छात्र इन सभी विधाओं में अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। राष्ट्रीय कला उत्सव 2023 में 680 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।समापन समारोह 12 जनवरी, 2024 को आयोजित किया जाएगा, जहां पुरस्कार विजेता छात्रों को ट्रॉफी दी जाएंगी।

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