“भविष्य इलेक्ट्रिक है, इसे कोई नहीं रोक सकता, डीजल और पेट्रोल एसयूवी इतिहास बन जाएंगी”
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दिल्ली |केंद्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने आज नई दिल्ली में ब्रैंड न्यू ईवी-रेडी इंडिया डैशबोर्ड (evreadyindia.org) लॉन्च किया। थिंकटैंक ओएमआई फाउंडेशन के नीति और उद्योग विशेषज्ञों द्वारा विकसित यह डैशबोर्ड एक नि:शुल्क डिजिटल प्लेटफॉर्म है जिसका फोकस वास्तविक समय में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने तथा पूर्वानुमान, संबंधित बैटरी मांग, चार्जिंग घनत्व और बाजार विकास के रुझान पर है। आशा है कि डैशबोर्ड लोगों, नीति निर्माताओं तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के एंड यूजरों को अधिक समावेशन की सुविधा देगा। प्लेटफ़ॉर्म डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की शक्ति का लाभ उठाता है और भारत के बड़े पैमाने पर बढ़ते इलेक्ट्रिक मोबिलिटी वर्ग पर व्यापक आर्थिक डेटा तथा विश्लेषण की आवश्यकता पूरी करना चाहता है। ईवी-रेडी इंडिया डैशबोर्ड ने इलेक्ट्रिक वाहनों में कैलेंडर वर्ष 2022 और 2030 के बीच 45.5 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया है। यह 2022 की 6,90,550 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों (ई2डब्ल्यूएस) की वार्षिक बिक्री की तुलना में 2030 में बढ़कर 1,39,36,691 हो जाएगी।
केंद्रीय विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने डैशबोर्ड लॉन्च किए जाने के अवसर पर केंद्र और राज्य सरकारों, उद्योग, विश्व बैंक तथा अन्य हितधारकों के प्रतिनिधियों को संबोधित किया और जोर देते हुए कहा कि भविष्य इलेक्ट्रिक होने जा रहा है। उन्होंने कहा- “ भविष्य बिजली का है। इसे कोई नहीं रोक सकता। भंडारण मूल्य में कमी आएगी और एक बार यह कम हो जाएगी तो डीजल और पेट्रोल एसयूवी इतिहास बन जाएंगे। हमारे पास बिजली होगी, जो विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में हमारी यात्रा के लिए उपयुक्त है।”
श्री सिंह ने कहा कि एक देश के रूप में भारत के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाना नितांत आवश्यक है। उन्होंने कहा- “ हम 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना चाहते हैं और रणनीतिक मामलों में अपना दबदबा बढ़ाना चाहते हैं। इसके लिए ऊर्जा स्वतंत्रता की आवश्यकता है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों का प्राथमिक कारण है।”
“कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिए डीकार्बोनाइजिंग परिवहन अत्यंत आवश्यक”
केंद्रीय विद्युत तथा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने परिवहन क्षेत्र को डीकार्बोनाइज करने के महत्त्व पर बल देते हुए कहा कि उद्योग से नीचे परिवहन का योगदान हमारे उत्सर्जन का 18 प्रतिशत है और सरकार सक्रिय रूप से इलेक्ट्रिक वाहन को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा- “हमारे प्रधानमंत्री जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने 15 प्रति यूनिट सौर ऊर्जा खरीदी उस समय अनेक लोगों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा था कि थर्मल पावर 4.50 रुपये प्रति यूनिट उपलब्ध है। लेकिन उन्होंने कहा कि जब तक उस रेट पर नहीं खरीदेंगे, कीमत कम नहीं होगी और आज सौर ऊर्जा की कीमत कम हो गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के पीछे यही मकसद है।” मंत्री महोदय ने याद दिलाया कि सरकार पहली बार अप्रैल 2018 में ईवी के बारे में बात किए जाने से पहले इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए दिशानिर्देश लेकर आई थी।
मंत्री महोदय ने बताया कि सरकार ने एक डैशबोर्ड (https://evyatra.beeindia.gov.in/) लॉन्च किया है, जहां हमें चार्जिंग स्टेशनों का स्थान और वे व्यस्त है या नहीं, इसकी जानकारी मिलेगी। यह डैशबोर्ड हमें चार्जिंग स्टेशनों का स्थान तथा आपके गंतव्य तक पहुंचने से पहले चार्जिंग स्थान बुक करने में सक्षम बनाता है।
“मात्रा बढ़ाने और भंडारण लागत कम करने हेतु बैटरियों के लिए एक और पीएलआई ला रहे हैं”
आर.के. सिंह ने इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में बाधाओं के बारे में कहा कि एक बाधा कीमत है, जो भंडारण की लागत के कारण है। उन्होंने कहा- “हम बैटरियां बनाने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) के साथ आए हैं, हम एक और पीएलआई लाने जा रहे हैं। हमें भंडारण कीमत घटाने की जरूरत है। पश्चिम के देश कार्बन उत्सर्जन को कम करने के महत्त्व की बात करते रहे, लेकिन उन्होंने भंडारण लागत को कम करने के बारे में कुछ नहीं किया। भंडारण की कीमत तभी कम होगी जब हम वॉल्यूम (मात्रा) जोड़ेंगे और इसीलिए हम मैन्यूफैक्चरिंग, क्षमता और वॉल्यूम बढ़ाने के लिए एक और पीएलआई ला रहे हैं।

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