पटना रसोइया ने 13सूत्री मांग को लेकर करेगी तेज आंदोलन

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पटना। विद्यालय रसोइयों को महज 1650 रूपए मानदेय के रूप में मिलता है जो बहुत ही अत्यल्प व अपमान जनक है। वह भी साल में 10 ही महीने मिलता है। उनके ऊपर काम का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। वे विद्यालय खुलने से पहले आती हैं और बंद होने के बाद जाती हैं। उनसे भोजन बनाने – खिलाने के अलावा विद्यालय में और भी कई ऐसे काम करवाए जा रहे हैं जो उनके काम के दायरे में नहीं आते। जैसे विद्यालय परिसर व कमरों झाड़ू लगवाना व शौचालय में पानी डलवाना। ऐसे कामों के लिए विद्यालयों में आदेशपाल व मेहतर बहाल किया जाना चाहिए। इतना काम करने के बावजूद उन्हें सम्मान भी नहीं मिलता। बात- बात पर निकाल देने की धमकी दी जाती है।
जब से मध्यान्ह भोजन योजना शुरू हुई रसोईया ही खाना बनाती -खिलाती रहीं हैं लेकिन 2016 से इस क्षेत्र में एनजीओ का प्रवेश कराया गया। जबकि एनजीओ के जरिए बहुत ही घटिया खाना की आपूर्ति की जाती है। यहां तक कि छिपकली, मरे हुए सांप भी खाने में पाए जाने की आए दिन सूचना मिलती है और बच्चों के बीमार होने की खबरें आती हैं। एनजीओ सुरक्षा मानकों का भी ध्यान नहीं रखते जिससे ब्वायलर विस्फोट की घटनाएं भी सामने आती हैं। लेकिन सरकार पुनः पूरे बिहार में 22 सितंबर 2023 से केन्द्रीकृत किचेन की व्यवस्था बहाल कर रही है तो हम जानना चाहते हैं कि मौजूदा समय में कार्यरत रसोइयों का क्या होगा? क्या मध्यान्ह भोजन योजना समिति उनके रोजगार के प्रति उत्तरदाई नहीं होगी? उनके रोजगार को एनजीओ के रहमो-करम पर छोड़ दिया जाएगा?इसी लिए हम मांग करते हैं कि इस व्यवस्था को रद्द किया जाना चाहिए।
दूसरी बात कि अभी बिहार सरकार के गृह विभाग ने रसोइयों का व अन्य मानदेय कर्मियों का मानदेय बढ़ाया है ,इससे पहले आशा का मानदेय बढ़ाया गया। पड़ोसी राज्य की झारखंड सरकार ने विद्यालय रसोइयों का मानदेय दो हजार से बढ़ाकर तीन हजार कर दिया , 10 महीने का मानदेय बढ़ा कर एक साल , ड्रेस में एक जोड़ा सूती साड़ी व रिटायर होने के बाद एक हजार पेंशन जैसी मांगों को स्वीकार किया है । मध्य प्रदेश की सरकार ने रसोइयों का मानदेय 2000 से बढ़ाकर 4000 रूपया कर दिया तो फिर महागठबंधन की सरकार विद्यालय रसोइयों के प्रति दोयम दर्जे का व अपमान जनक व्यवहार क्यों कर रही है? मांगें –
1. विद्यालय रसोइयों को न्यूनतम मजदूरी की गारंटी की जाए, और हर साल इसमें मंहगाई भत्ता की वृद्धि प्रतिशत में की जाए।1650 रूपए मानदेय को बढ़ाकर तत्काल कम से कम 10,000 रूपया किया जाए।
2. साल में 10 महीने के बजाए 12 महीने के मानदेय का भुगतान किया जाए।
3. शिक्षा विभाग की अनिवार्य अंग बन चुकी विद्यालय रसोइयों को शिक्षा विभाग में चतुर्थ वर्ग की कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।
4. केन्द्रीयकृत किचेन को खारिज कर एनजीओ को मध्याह्न भोजन योजना से बाहर किया जाए।
5.रसोइयों को ड्रेस में साल में दो जोड़ा सूती साड़ी ब्लाउज व पेटीकोट के साथ दिया जाए।
6.रसोइयों को सामाजिक सुरक्षा स्कीम के तहत 3000 रूपया पेंशन दिया जाए।
7. अकारण हटाए गए रसोइयों को अविलंब पुन : बहाल किया जाए।
8.रसोइयों को दुर्घटना बीमा व स्वास्थ्य बीमा का लाभ दिया जाए।
9. रसोइयों के साथ सम्मान जनक व्यवहार किया जाए। बात – बात पर निकाल देने की धमकी देना बंद किया जाए।
10.रसोइयों को मातृत्व अवकाश व अन्य विशेष अवकाश का लाभ दिया जाए।
11.रसोइयों से अतिरिक्त काम न करवाएं जाएं। जैसे – झाडू लगवाने व शौचालय में पानी डलवाना आदि। इन कामों पर अविलंब रोक लगाई जाए। उनसे सम्मान पूर्वक बर्ताव किया जाए।
12. मानदेय का भुगतान महीने- महीने किया जाए।
13.विद्यार्थियों के अनुपात में रसोइयों के रिक्त पदों पर शीघ्र बहाल किया जाए। इसमें रिटायर व मृत रसोइयों के परिवार को प्राथमिकता दिया जाए।
इससे पूर्व भी अनेक बार रसोईया संगठनों ने अलग – अलग व संयुक्त रूप से अपनी मांगों से सरकार को अवगत कराया है। यदि मांगें पूरी नहीं होगी तो आंदोलन न सिर्फ तेज किया जाएगा.

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