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छोटे स्तर का नेता भी चार-पांच गनमैन लेकर ही चलता है,q

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मुजफ्फरपुर: समाज में जब इतनी गरीबी और अशिक्षा रहेगी तो इस तरह की चीजें आम हो जाती है। लालू प्रसाद यादव तो बहुत बड़े नेता हैं बिहार में जो छोटे स्तर का नेता है वो भी दो गनमैन लेकर ही चलता है। हम अभी 11 महीनों से पैदल चल रहे हैं जब लोग पदयात्रा शिविर में आते हैं तो यही पूछते हैं कि यहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था भी नहीं है। उनके लिए आश्चर्य की बात हो जाती है कि इतनी व्यवस्था है लेकिन यहां सिपाही, हवलदार नहीं है। बिहार में आपने नेतागिरी शुरू नहीं की कि घर में खाने के लिए हो न हो दो गनमैन, लाठी डंडा करने वाले लोग आगे पीछे चलने वाले शागिर्द नेता लोग अपने साथ रखते हैं वो समाज को दिखाते हैं। समाज भी कहीं न कहीं गरीब और अनपढ़ होने की वजह से ये जो समाज में व्यवस्था है उसको स्वीकर करता है तो लालू के आगे पीछे छाता लेकर कोई चल रहा है तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि बिहार में जिसका कोई वजूद नहीं है वो दो आदमी छाता लेकर या लाठी-डंडा लेकर चलने वाले लोग साथ लेकर चलते हैं। समाज में भी ऐसी अवधारणा बन गई है कि जो नेता हैं उन्हें अपने साथ हथियार रखकर दो चार बंदूक वालों के साथ चलना ही चाहिए। आज कोई मुखिया और सरपंच से मिलता हूं तो वो कहते हैं कि हमारी जान को बहुत खतरा है। मैं 11 महीनों से पैदल चल रहा हूं कहां मुझे कोई आकर मार रहा है? कहां मुझे कोई धक्का दे रहा है? मैं इसी पदयात्रा शिविर में सोता हूं, रहता हूं। समाज में लोगों के दिमाग में ऐसा बैठ गया है कि अगर मैं नेता बन गया मुखिया बन गया मंत्री विधायक बन गया तो मेरे साथ चार से पांच सुरक्षा वाले लोग होने ही चाहिए।

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