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ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन 9, 10सितम्बर को होगा सम्मेलन

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पटना 17 अगस्त 23

ऑल इंडिया सेंट्रल कॉउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) से जुड़े ऑल इंडिया स्कीम वर्कर्स फेडरेशन (एआईएसडब्ल्यूएफ) का दो दिवसीय स्थापना सह प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन 9-10 सितम्बर 23 को पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में होगा।

सम्मेलन को सफल बनाने को लेकर आज दारोगा राय पथ स्थित माले विधायक सत्यदेव राम के आवास पर पूरे बिहार से स्कीम वर्कर फेडरेशन से जुड़े बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ (गोप गुट-ऐक्टू) बिहार राज्य विद्यालय रसोइया संघ (ऐक्टू) व ममता,आंगनबाड़ी के प्रमुख नेताओं की एक बैठक फेडरेशन की मुख्य राष्ट्रीय संयोजक सह आशा नेत्री शशि यादव तथा राष्ट्रीय संयोजिक सह रसोइया नेत्री सरोज चौबे की अध्यक्षता में हुई।बैठक में विशेषकर ऐक्टू राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.शंकर,महासचिव,राजीव डिमरी,राष्ट्रीय सचिव रणविजय कुमार, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एस के शर्मा, राष्ट्रीय सचिव आरएन ठाकुर आदि नेताओं ने भाग लिया।बैठक को संबोधित करते हुए ऐक्टू राष्ट्रीय अध्यक्ष वी.शंकर, महासचिव राजीव डिमरी ने स्कीम वर्कर्स के आशा, रसोइया,ममता व आंगनबाड़ी के नेताओं से आगामी 9-10 सितम्बर को पटना में आहूत स्कीम वर्कर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय सम्मेलन को आशा आन्दोलन कि तरह ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने का आह्वान किया कहा कि इस राष्ट्रीय सम्मेलन से स्कीम वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग पर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल का निर्णय किया जाएगा।नेताओ ने बिहार के आशा आंदोलन को ऐतिहासिक बताया और मिली जीत को बड़ी जीत बताया और कहा कि स्कीम वर्करों को सरकार श्रमिक नहीं मानती लेकिन श्रमिकों की तरह काम लिया जा रहा है ,इन्हें स्वयंसेवी बता सारे अधिकारों से अलग कर दिया गया है और आशा,रसोइया आदि योजना कर्मियों से अपमानजनक शर्तों के अधीन काम लिया जा रहा रहा है,जीने लायक भी मेहनताना/मानदेय अथवा प्रोत्साहन राशि केंद्र सरकार नहीं देती,दशकों पूर्व रसोइयों के केन्द्रांश राशि 1000 रु मासिक मानदेय में भी मोदी के 9 साल के शासन में एक रुपया का वृद्धि नहीं किया गया ,उन्होंने कहा कि बिहार में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त 650 रु सहित कुल 1650 रु महीना मानदेय रसोइयों को दिया जाता है,इतने कम राशि पर काम लेना अपराध की श्रेणी में आता है।

आशा को बिहार सहित कुछ राज्य सरकारों द्वारा केन्द्रांश राशि के अलावे राज्य की ओर से राशि दिया जाता है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने 9 वर्ष के शासन में एक रुपया की भी वृद्धि आशा के केन्द्रांश राशि में नहीं किया है और इसी तरह मम्मता, वैक्सीन कुरियर आदि स्कीम वर्करों की दशा सबसे ज्यादा खराब है जिसका संचालन खुद केंद्र सरकार करती है। नेताओं ने इन स्कीमों को निजीकरण की ओर ढकेलने का आरोप मोदी सरकार पर लगाया और कहा कि मोदी शासन का स्कीम वर्करों के साथ अपमानजनक शर्तो पर दशकों से लिये जा रहे काम की स्थितियों में बदलाव को लेकर, सरकारी कर्मचारी का दर्जा की मांग पर मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोल की तैयारी हेतु फेडरेशन का यह राष्ट्रीय सम्मेलन गवाह बनेगा।बैठक में नेताओं ने बिहार में आशाओं को मिली बड़ी जीत के खुशी का इजहार एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर किया।।बैठक को ऐक्टू के अन्य नेताओं ने भी संबोधित किया।

 

 

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